आचार्य शंकराचार्य जी पर समर्थ रामदास जी का एक संक्षेप

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(कमलेश मिश्रा +9644620219)
जौनपुर । आज शंकराचार्य जगतगुरु वासुदेवानंद सरस्वती बद्रीकाश्रम हिमालय,धर्म नगर जौनपुर मे हुआ आगमन,पूज्य श्री कृष्णानंद महाराज जी के आश्रम मे अपने भक्तो को शंकराचार्य जी ने बताया अध्यात्मिक जन्म स्थान,उन्हो ने बताया जब वे घर से भागकर आये थे तो धर्मंनगर इसी आश्रम मे आये,और उस समय पूज्य श्री कृष्णानंद सरस्वती जी उन्हे समझाकर घर भेज दिया,जब पुन दुबारा आये तो,गुरुजी उन्हे शास्त्री जी कहकर बुलाते थे,एक दिन एकान्त मे उन्होने पुछा आप महाराज जी मुझे शास्त्री जी क्यो बुलाते हो मै पढा लिखा हू नही,तब महाराज जी ने कहा रामराम बेटा तू तो एक दिन जगत गुरु बनेगा,गुरु की वाणी कब चरिताथ हो किसी ने नही जाना,बोले मै डबल एम ए,डबल पीएचडी की पढाई की आचार्य कीया आज आप लोगो के सामने जगत गुरु शंकराचार्य की गद्दी पर विराज मान हू।यह स्थान बजरंगबली का सिध्द पीठ है।यहा पहले गुरु जी हमेशा रामनाम कीर्तन करते करवाते थे,अभि भी यही यहा निरंतर होना चाहिये सुन्दर काण्ड हो या राम नाम होते रहे,ग्रामीणो के विषेश निवेदन से जगतगुरु शंकराचार्य आये थे,क्यो की आश्रम का देखरेख पूजा पाठ,आश्रम पर कोई अध्यात्मिक गुरु नही थे,गुरु गद्दी खाली थी,कूछ अराजक तत्वो की बुरी नजर थी,यहा धर्मनगर आश्रम मे ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य और शूद्र सभी समुदायों का कई पीढी से जुडाव रहा है,ग्रामीणो मे चिंता की बात थी की आगे आश्रम कैसे चलेगा कोई उत्तराधिकारि नही है। तब जगतगुरु शंकराचार्य जी ने पुछा आप लोग किसे चाहते हो उसी को मै न्युक्त कर दूंगा,हजारो की संख्या मे लोग उपस्थित थे,सभी ने एक सुर मे समर्थ रामदास महाराज अध्यात्मिक गुरु का नाम का प्रस्ताव रखा उसके बाद शंकराचार्य जी ने समर्थरामदास जी को महंत न्युक्त कीया।जिसमे क्षेत्र के सम्मानित जन व पुर्व बिधायक सीमादिवेदी,अजय दुबे अज्जू भैया,रमेश चतुर्वेदी समाजसेवी,नीरज पांडेय,मनोज सिंह महारास्ट्र से गोकुलनंद मथुरा से सहभागी बने ।

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