कटघरे में ब्यौहारी एसडीएम की कार्यप्रणाली

पहले ताला खोलने और बाद में अपने ही आदेश को किया निरस्त
कागजों में तामील हो रहे सम्मन, मनमर्जी की दे रहे तारीख
(अमित दुबे+8818814739)
शहडोल। ब्यौहारी के बड़े सोने-चांदी के व्यापारी के परिवार का विवाद अधिकारियों के लिए वरदान साबित हो रहा है, करोड़ों रूपये की चल-अचल संपत्ति का विवाद एसडीएम न्यायालय से लेकर कोर्ट की दहलीज तक पहुंच चुका है, पहले भी एसडीएम पी.के. पाण्डेय पर विनीत कुमार सोनी ने 2 लाख रूपये लेकर आदेश पारित करने और विवादित भूमि पर कब्जा दिलाने के लिए 15 लाख रूपये के सौदे का आरोप लगाया था, अब एसडीएम के ऊपर पहले पुलिस को कब्जा दिलाने, फिर अपने ही आदेश को निरस्त करने के साथ ही मनमर्जी के हिसाब से पेशी की तारीख रखने के साथ ही सम्मन तामीली में भी गड़बड़ी के आरोप लगाते हुए कलेक्टर को शिकायत देते हुए हुए एसडीएम ब्यौहारी के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने की मांग की है।
3 दिन में दिलाये कब्जा
शिकायत में उल्लेख किया गया है कि एसडीएम ब्यौहारी ने 5 जनवरी को थाना प्रभारी ब्यौहारी को पत्र जारी किया कि आवेदिका चंदा बाई द्वारा प्रस्तुत आवेदन में उसकी भूमि और मकान पर विनीत एवं विवेक कुमार सोनी ने पुराने ताले के स्थान पर पृथक से नया ताला लगाते हुए घर से बेघर कर दिया है। आवेदिका को कब्जा दिलाना जरूरी है, जिसके लिए सशक्त बल सहित मौके पर जाकर लगे हुए ताले को खुलवाकर आवेदिका और उसके पुत्र विनोद कुमार सोनी को कब्जा दिलाते हुए 3 दिवस के भीतर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के साथ ही अवैधानिक रूप से ताला लगाने पर आपराधिक प्रकरण दर्ज करने के आदेश दिये थे।
…फिर बदला अपना आदेश
5 जनवरी को पहले ताला खुलवाने और आपराधिक प्रकरण दर्ज करने के आदेश जारी करने के साथ ही उसी दिनांक को एसडीएम ब्यौहारी ने थाना प्रभारी ब्यौहारी को पुन: पत्र जारी किया, जिसमें उल्लेख किया गया कि पूर्व में जारी निर्देश को समाप्त किया जाता है, क्योंकि उल्लेखित तथ्यों के संबंधित कार्यवाही न्यायालयीन प्रकृति की है एवं इस पर कार्यवाही का निर्धारण का अधिकार इस कार्यालय को नहीं है, पूर्व में जारी पत्र में दिये गये निर्देश व आदेश को शून्य समझा जाये, सवाल यह खड़ा होता है कि जब एसडीएम को यह अधिकार ही नहीं थे तो ताला खुलवाने और एफआईआर दर्ज कराने के लिए पत्र जारी कैसे किया।
सम्मन तामीली में भी गड़बड़झाला
शिकायतकर्ता विनीत कुमार सोनी का आरोप है कि एसडीएम पी.के.पाण्डेय और उसके पिता विनोद कुमार सोनी के बीच अच्छे रिश्ते हैं और दोनों ने सांठ-गांठ करके अपने मर्जी के अनुसार पेशी की तारीखें रखी गई और सम्मन भी नाजायज प्रभाव से तामील करवाकर अपने अधीनस्थ कर्मचारी सुनील मणि से प्रतिवेदन लिखवाया, इतना ही नहीं पी.के. पाण्डेय और विनोद कुमार सोनी की सांठ-गांठ का ही नतीजा है कि कूटरचना कर एसडीएम ने न सिर्फ अपने पद का दुरूपयोग किया, बल्कि नियमों और कानूनों को तोड़ा। जो कि गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है, अचरज की बात यह है कि एसडीएम न्यायालय और कार्यालय में गरीबों और असहायों के हजारों मामले लंबित है, बड़े सुनार के मामले में एसडीएम पाण्डेय का न्याय पूरी व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहा है, कहीं लगाये गये आरोपों में सच्चाई तो नहीं?
शिकायत के बाद भी जोड़ दिया नाम
विनीत कुमार सोनी ने आरोप लगाया कि चंदाबाई बेवा परमेश्वरदीन सोनी मूलत: ग्राम निपनिया की निवासी है और उनका नाम मतदाता सूची में भी अंकित है, लेकिन प्रकरण में लाभ पहुंचाने के लिए बीएलओ ने निपनिया से नाम काटकर ब्यौहारी में जोड़ दिया, वहीं इस बात की शिकायत उसके द्वारा रिटर्निंग ऑफिसर से भी गई, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की गई। पीडि़त ने कलेक्टर से इस मामले में दोषी प्रशासनिक अधिकारियों के विरूद्ध कठोर कार्यवाही करने और आरोपियों के विरूद्ध प्रकरण पंजीबद्ध कराये जाने की अनुमति देने की मांग की है।