क्रोध पर काबू पाना सबसे बड़ा गुण – श्री अंकिताचार्य

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(दीपू त्रिपाठी+91 99268 71070)

बिरसिंहपुर पाली । नगर में स्थित एमपीईबी कॉलोनी में चल रहे संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन के पांचवें दिन की कथा पांडाल में श्रोताओं की अपार भीड़ देखने को मिली। भागवत कथा के पंचम दिवस की कथा में कथा व्यास पंडित श्री अंकिताचार्य जी महाराज वृंदावन ने कथा श्रवण कराते हुए कन्हैया के जन्म से कथा प्रारंभ किया और भक्तों को बताया कि मैया यशोदा का प्रेम किस प्रकार से कन्हैया के प्रति था। इस दौरान कृष्ण की बाल लीलाओं को सुनकर भक्त मंत्रमुग्ध हो गए। पूज्य श्री ने कथा में आगे वर्णन करते हुए श्री गोवर्धन पूजन की पावन कथा श्रवण कराया और भक्तों को बताया कि जब ब्रजवासियों ने इंद्र की पूजा छोड़कर गिरिराज की पूजा शुरु कर दिया तब इंद्र ने कुपित होकर के ब्रजवासियों पर मूसलाधार बारिश की तब कृष्ण भगवान ने गिरिराज को अपने कनिष्ठ उंगली में उठाकर ब्रजवासियों की रक्षा की और इंद्र का मान मर्दन किया। भगवान ने कहा कि मनुष्य को इंद्र के तरह अभिमान और क्रोध नहीं करना चाहिए। मनुष्य का अपने क्रोध पर काबू पाना उसका सबसे बड़ा गुण है। पूज्य महाराज श्री ने कहा कि जिसको काम प्रिय है वह प्रभु की कथा को नहीं सुन सकता है और जिनको श्याम प्रिय है वह अपने सभी कार्यों को छोड़कर कथा श्रवण करने पहुंचते हैं। गौरतलब है कि श्री मद्भागवत कथा में यजमान मथुरा त्रिपाठी परिवार के द्वारा आये हुए सभी भक्तों का स्वागत कर कथा का आनंद लिया साथ ही गिरिराज जी को 56 भोग लगाकर पूजन किया गया।

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