पुलिस कर रही आबकारी की बेगारी

देशी पर सितम, विदेशी पर रहम बरपा रही खाकी
(अनिल तिवारी+91 88274 79966 )
शहडोल। जिला अंतर्गत आबकारी विभाग में भारी-भरकम अमला तैनात होने के बावजूद उपलब्धियां ढाक के तीन पात जैसी दिखाई दे रही हैं। इन दिनों जहां पुलिस विभाग अपना पूरा ध्यान अवैध शराब के क्रय-विक्रय पर अंकुश लगाने में लगाये हुए है, वहीं आबकारी अमला विदेशी शराब दुकानों के नवीनीकरण पर जोर दिये बैठा है, हो भी क्यों न, विदेशी शराब ही तो विभाग की असली कमाई का जरिया है। जिला आबकारी अधिकारी एस.सी. चौधरी की माने तो विदेशी शराब दुकानों का ठेका जहां गतवर्ष 47 करोड़ रूपये में गया था, वहीं इस वर्ष यह रकम 56 करोड़ पहुंच गई है। यही वजह है कि आबकारी विभाग विदेशी शराब दुकानों और उनके संचालकों पर रहमोंकरम बनाये हुए है, कमोवेश यही आलम पुलिस प्रशासन का भी है। अन्यथा क्या वजह हो सकती है कि पिछले एक पखवाड़े के दौरान जहां हजारों लीटर कच्ची और देशी शराब पकड़ी जा चुकी है, वहीं दूसरी ओर विदेशी शराब की एक बोतल भी नहीं पकड़ी गई।
एक दिन का आलम
पुलिस महकमें द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक रविवार को जिले के विभिन्न थानों में कुल 56 लीटर कच्ची शराब और 12 लीटर देशी शराब पकड़ी गई है, इस एक दिन की कार्यवाही में 1 लीटर विदेशी शराब पकड़े जाने का भी कहीं जिक्र नहीं है। इससे स्वत: स्पष्ट होता है कि पुलिस प्रशासन भले ही आबकारी अमले का मददगार बना हो, लेकिन उसकी निगाह भी विदेशी शराब पर नहीं जा रही है। रविवार की भांति ही प्रतिदिन ऐसे ही आंकड़े शराब जब्त करने के जारी किये जा रहे हैं, लेकिन उनमें विदेशी शराब को खुली छूट मिली हुई है।
आबकारी की बेगारी
जिले का आबकारी अमला अनुभाग स्तर पर केवल स्वयं की वसूली में जुटा हुआ है, इससे शराब ठेकेदारों को भी अपरोक्ष रूप से राहत मिली हुई है और वह अपनी मनमानी पर उतारू हैं। दूसरी ओर पुलिस प्रशासन अपना लक्ष्य भेदने की खातिर आबकारी विभाग की बेगारी में जुटा हुआ है। जिले में अपराध नियंत्रण से भटककर बीट स्तर पर पुलिस अधिकारी केवल शराब पकडऩे के लिए गली-मोहल्ले में डंडे फटकार रहे हैं। अपना काम पुलिस को करते देख आबकारी अमला का सुकून महसूस कर रहा है।
मनमानी बिक्री
विदेशी शराब दुकानों के नवीनीकरण में 20 प्रतिशत राशि वृद्धि किये जाने की खबर मिलते ही शराब ठेकेदारों ने नवीनीकरण से पूर्व ही शराब के दाम अप्रत्याशित ढंग से बढ़ा दिये, कहने को तो हर बोतल पर अधिकतम और न्यूनतम विक्रय मूल्य लिखा होता है, इसके बावजूद शराब ठेकेदार उस पर 20 प्रतिशत की वृद्धि करके ही शराब बेच रहे हैं। ऐसा भी नहीं है कि आबकारी अमले को इस बात की जानकारी न हो, बल्कि समूचा अमला बाखबर होते हुए भी बेखबर बना हुआ है।
इनका कहना है…
यह सच है कि इस समय हमारा पूरा ध्यान शराब दुकानों के नवीनीकरण पर है, इसमें राजस्व की वृद्धि भी हुई है, रही बात अवैध शराब पकडऩे की तो समय-समय पर यह कार्यवाही भी की जाती है।
एस. सी.चौधरी
आबकारी अधिकारी
शहडोल