प्रदूषण से बचने सतर्कता आवश्यक

कार्यशाला में अधिकारी ने दिये मंत्र
शहडोल। पर्यावरण प्रदूषण को लेकर जल-थल और वायु के साथ इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट जिसमें विभिन्न प्रकार के इलेक्ट्रिकल घटक जिनमें कम्प्यूटर, फोन, एसी, टीव्ही, बैटरी, मोबाइल आदि ऐसे उत्पाद जो अच्छी तरह चलने के योग्य नहीं रह जाते, ये उत्पाद ई-वेस्ट की श्रेणी में आते हैं, एक सर्वेक्षण के अनुसार शहडोल नगर में प्रतिवर्ष 28 टन ई-वेस्ट का जनरेशन प्रतिवर्ष औसत होता है, ई-वेस्ट के प्रभाव से पर्यावरण तो प्रदूषित होता ही है, उनके संपर्क के आने वाले व्यक्ति को विभिन्न प्रकार की बीमारियां, जैसे त्वचा रोग, कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है। इन्हीं सब समस्याओं को दृष्टिगत करते हुए मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय के द्वारा एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का प्रमुख उद्देश्य इलेक्ट्रॉनिक कचरे के उचित प्रबंधन और निपटारा है।
घातक है ई-प्रदूषण
कार्यशाला के प्रारंभ में क्षेत्रीय अधिकारी संजीव मेहरा ने कार्यक्रम में पधारे सभी अतिथियों का परिचय प्राप्त किया और ई-वेस्ट के उचित निपटारे के संबंध में अपनी बात रखी। उन्होंने अतिथियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि वर्तमान में ध्वनि, जल एवं वायु प्रदूषण के साथ ई-प्रदूषण भी भयावह रूप धारण करता जा रहा है। घरों से निकलने वाले कूड़ा-करकट एवं अन्य अपशिष्ट पदार्थ केवल सम्पर्क में आने वाले लोगों एवं जीव-जन्तुओं को प्रभावित करते हैं, लेकिन ई-वेस्ट एक ऐसा अपशिष्ट है जिसके प्रभाव में आने वाली भूमि, हवा, पर्यावरण एवं जीव-जन्तु सभी पर इसका घातक असर होता है।
रिसाइकिलिंग की है व्यवस्था
पीसीबी के ईई एस.पी.झा ने प्रोजेक्टर पर ई-अपशिष्ट प्रबंधन के संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण उपयोग के बाद ई-वेस्ट कहलाता है, इनमें पाया जाने वाला घातक रसायन, ग्लास, प्लास्टिक जिसमें कैडिमियम, मर्करी जैसी जहरीली धातुएं पाई जाती है, जो मानव या पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिये पर्याप्त है। हमारे द्वारा ई-वेस्ट का प्रबंधन तीन चरणों में किया जा रहा है, जिसमें पहली प्रक्रिया कलेक्शन, दूसरी प्रक्रिया डिस्मेंटल व तीसरी प्रक्रिया रिसाइकिंलिग की है, यदि किसी भी ऐसे फर्म जो ई-अपशिष्ट के द्वारा पर्यावरण को प्रदूषित करते पाया जायेगा, तो उसे पर्यावरण सर्वेक्षण अधिनियम 1986 के तहत डेढ़ से 05 साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान रखा गया है। अब इस बात को पूर्ण रूप से दृष्टिगत किया गया कि उत्पादनकर्ता अनिवार्य रूप से ई-वेस्ट के प्रबंधन की व्यवस्था करें। इसके लिये अपशिष्ट के अनुरूप कई तरह के फार्म उपलब्ध हैं, जिसकी जानकारी कार्यालय से प्राप्त की जा सकती है। आज हमें चाहिए कि हम इस घातक समस्या के प्रति आमजन को जागरूक करें, जिससे ई-वेस्ट का उचित प्रबंधन व निपटारा हो सके।
ये रहे मौजूद
इस कार्यक्रम में जयसिंहनगर, धनपुरी और ब्योहारी नगर परिषद के अधिकारी-कर्मचारियों के साथ बड़ी संख्या में इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद बिक्री करने वाले व्यापारी गण व मोबाइल विक्रेता उपस्थित रहे।