बाल लीला सुन मोहित हुए श्रोता, श्रोताओ का उमड़ा सैलाब

(सुधीर शर्मा-9754669649)

शहडोल। भगवान ने जो भी लीला किया वह सिर्फ भक्तो को आनंदित करने के लिए किया। बृज में अवतरण के साथ ही कई बाल लीलाओं के द्वारा भक्तों और ग्वाल बालो को प्रभु ने खुशी प्रदान किया। बृज की धरती पर भगवान के अवतरण के साथ ही बृजवासियों को मानो जगत की सबसे बड़ी खुशी नसीब हो गई। प्रभु श्री कृष्ण बृज भूमि के आत्मज है। उक्त कथा खैरहा गांव में चल रहे भागवत कथा के दौरान वृदांवन से पधारी बाल विदुषी पूज्या शीघ्रता त्रिपाठी ने भगवान के बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए कहा। उन्होने कहा कि भगवान ने जो भी लीलाए की, वह भक्तो के दुख हरने के उद्देश्य से किया। माखन चोरी की मोहक लीला का वर्णन करते हुए बताया गया कि श्रीकृष्ण माखन चोर नही बल्कि माखन चोरो के सरदार थे। संसारिक चोर धन संपत्ति के चोरी करते हुए लेकिन प्रभु भक्तो के आनंद के चोरी की। बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए बाल विदुषी ने कहा कि भगवान के चरवाहे का किरदार निभाया और गौ सेवा भी किया।
प्रभु ने निभाया वचन
कथा के दौरान कथा वाचक ने बृज की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान बृज की धूल में खेला और वहां की मिट्टी भी खाई, भगवान ने राम अवतार में सेतु निर्माण के दौरान गोवर्धन पर्वत को वचन दिया था, कि जब कृष्ण अवतार मे जन्म लेगे तो गोवर्धन पर्वत की पूजा करेंगे और उन्हे देवताओं का दर्जा प्रदान करेंगे। भगवान ने गोवर्धन को अपने से श्रेष्ठ स्थान देकर उनकी पूजा अर्चना करवाई और अपना वचन निभाया। कथा के दौरान विभिन्न बाल लीलाओं का वर्णन किया जिसे सुनकर उपस्थित श्रोता मोहित हो गए। चैत्र नवरात्र के अवसर पर दुर्गा मंदिर परिसर में चल रहे भागवत कथा में पूज्या शीघ्रता त्रिपाठी के पिता भगवताचार्य श्रीकांत त्रिपाठी ने भी समय-समय पर लोगो को धार्मिक उपदेश प्रदान किया। इस दौरान रोजाना सैकड़ो की संख्या में श्रोता उमड़ रहे है, वहीं नित पंडाल में नई-नई झांकिया सजाई जा रही है जो कि लोगो के लिए आस्था का विषय बना हुआ है। इस दौरान कथा पंडाल में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रामगोपाल प्रजापति, प्रथम श्रेणी न्यायाधीश बुढ़ार श्रीमती किरण कोल एवं प्रथम श्रेणी न्यायाधीश बुढ़ार मोहित परसाई ने कथा के दौरान कथा व्यास शीघ्रता त्रिपाठी से आशीर्वाद प्राप्त किया।