निर्माण कार्यों में शिकंजा कस करोड़ों का गड़बड़झाला कर रहे दबंग

प्रशासनिक ढिलाई के चलते हो रही मनमानी, अफसर चुप्पी साधे बैठे
(शुभम तिवारी)
शहडोल। गोहपारू जनपद की शायद ही ऐसी कोई ग्रामपंचायत होगी जहां वित्तीय अराजकता नहीं होगी। बार बार
लाखों रुपए के कार्य कराए जाते हैं लेकिन घटिया निर्माण के कारण उनका कोई अर्थ नहीं रह जाता है। ग्रामीणों ने कई
बार इनके खिलाफ हिम्मत कर जिला प्रशासन और जनपद से शिकायत की लेकिन इन साहबों की कुर्सियोंं के नीचे
तक इनकी घुसपैठ होने के कारण इनका बिगड़ता कुछ नहीं है उल्टे गंाव वालों की शामत सी आ जाती है।
ग्रामपंचायतों में दबंगों ने अंधेर मचा रखा है लेकिन जांच पड़ताल, मॉनीटरिंग और सत्यापन जैसे कार्य मानो यहां के
लिए बेेेमानी हैं। उहाहरण के लिए ग्राम पंचायत बरेली के डोंगरा टोला बस्ती के कार्यों को ही देखा जा सकता है। यहां
सीसी रोड का निर्माण कार्य चल रहा है। जो कि अत्यंत घटिया दर्जे का है। यहां के कार्य एक आपराधिक पृष्ठभूमि से
जुड़ा दबंग व्यक्ति करा रहा है। जो अपना दबदबा बनाए रखने लोगों को धमकियां भी देता रहता है। जयसिंहनगर
थाने में इसके खिलाफ मामला भी है।
ऐसे हो रहा रोड व नाली का निर्माण
डोंगरा टोला बस्ती में जो सीसी रोड व नाली बनाई जा रही है उसमें कहीं भी गुणवत्ता और सडक़ निर्माण मानकों का
पालन नहीं किया जा रहा है। बताते है कि सडक़ की लेयर 4 इंच के जगह 2 इंच की ही बनाई जा रही है। इसमें दोनों
तरफ प्लेट लगाई जानी चाहिए लेकिन एक ओर ही लगाई जा रही है। इसी तरह नाली का भी निर्माण कराया जा रहा
है। नाली निर्माण में बिना जीएसटी रेत गिट्टी का कार्य कराया जा रहा है। लोकल नदियों की मिट्टीयुक्त रेत से
भुरभुरा मसाला लगाया जा रहा है। यही नहीं एक तरफ मिट्टी हटाकर और एक तरफ प्लेट लगाकर नाली का निर्माण
कार्य कराया जा रहा है। दबंग ठेकेदार द्वारा सीसी रोड में आवश्यकता से कम सीमेंट का उपयोग किया जा रहा है और
रेत भी घटिया दर्जे की मिट्टी युक्त वह भी चोरी की लगाई जा रही है। इसमें अगर नियमत: रेत का उपयोग होता तो
अच्छे किस्म की रेत मिलती और शासन को राजस्व की प्राप्ति होती। ग्रामपंचायत को लाभ होता लेकिन ऐसा कुछ
नहीं है काम को आनन फानन में पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है। और तो और सडक़ बनने से पहले जमीन को
समतल तक ठीक से नही कराया गया है। सडक़ उखडऩे लगी है। जबकि पैसा निकलता जा रहा है। अफसरों को
मुआयना करने की फुर्सत नहीं है।
खण्डहर हो गया बस स्टैण्ड
करोड़ों रुपए की लागत से इसी तरह से बस स्टैंड का निर्माण कराया गया था। जो घटिया निर्माण होने और रखरखाव
नहीं होने से खंडहर में तब्दील हो गया है। बस स्टेण्ड में एक तो जिन सुविधाओं की आवश्यकता थी उनमें कटौती भी
की गई थी। इसके बावजूद करोड़ों का निर्माण दर्शा कर जो फर्शीकरण और शेड बनाए गए वे भी जर्जर हो चुके हैं। बस
स्टेण्ड के अंदर की सडक़ उखड़ गई है। यहां आज तक न तो बसें संचालित की गईं न यात्री आए। बस स्टैण्ड बना कर
छोड़ दिया गया। बाद में उसका रखरखाव भी नहीं कराया गया। इसलिए वह खण्डहर में तब्दील होता जा रहा है।
परिसर भी बदहाल
जनपद परिसर में दुकान की नीलामी हेतु बिल्डिंग व दूकाने बनाई गईं। जनपद परिसर में ही जीर्णोद्धार का भी कुछ
कार्य कराए गए थे। जो घटिया निर्माण के कारण दम तोड़ते नजर आते हैं। यहां करोड़ों रुपए के निर्माण कार्य हुए
लेकिन इन कार्यों की कोई जाचं पड़ताल नहीं कराई गयी। सब जगह मिलीभगत का खेल चलता रहा। इन सभी
निर्माणों में दबंगों का हस्तक्षेप रहा जिन्होने करोड़ों रुपए डकार लिये। बदले में मिला केवल घटिया निर्माण। ग्राम
पंचायतों में ऐसे
कार्यों की यदि गंभीरता से जांच कराई जाए तो गुणवत्ता की स्थिति एवं फर्जी बिल लगाकर निकाली गई राशि का सही
अनुमान लगाया जा सकता है। यही नहीं ग्रामीण ठेकेदार अपने जेसीबी वा पोकलेन मशीन तथा ट्रैक्टर से खुद काम
करता है और फर्जी मजदूरों एवं बिल लगाकर राशि का भुगतान कराता है।