सड़क न होने पर  गर्भवती को खाट पर लेकर तीन किमी तक चले पैदल , रास्ते मे ही हो गई डिलेवरी

(शुभम तिवारी)
शहडोल। प्रदेश की सरकार भले ही आदिवासी इलाकों में सुविधाओं और योजनाओं का अंबार लगाने का दावा करती हो, हालात बहुत ही बुरे हैं।  ग्रामीण इलाकों  में सड़क न होने पर  मजबूरन गर्भवती महिला को खाट पर रखकर तीन किमी का रास्ता पैदल  तय किया,इस दौरान रास्ते मे ही डिलेवरी हो गई, सिस्टम को तमाचा मरती यह तस्वीर  जनपद पंचायत सोहागपुर अंतर्गत ग्राम पंचायत धनौरा के ग्राम तुर्री दलान की है।

सोहागपुर जनपद अंतर्गत ग्राम पंचायत धनौरा मे ग्राम तुर्री-दलान में 25 वर्षीय गनपति बैगा पति मोहन बैगा को  सुबह-सुबह प्रसव पीड़ा शुरू हुई तब ग्रामीणों ने खटिया में डंडे को रस्सी से बंधा कर कंधे के सहारे दो किलोमीटर की करीब 300 फिट की पहाड़ी उतार कर मुख्य सड़क तक लाएं, इसके बाद आशा कार्यकर्ता आदि कि मदद से एम्बुलेंस से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बुढ़ार ले जा रहे थें तभी रास्ते में बेम्हौरी के पास खराब सड़क के कारण प्रसव हो गया, जिसके बाद प्रसव पीड़िता गनपति बैगा को समीपस्थ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बेम्हौरी में ही रोका गया जहां उपस्थित नर्सों ने जांच कर स्थिति सामान्य बताई तब गनपति बैगा को बुढ़ार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, गनीमत है कि ऐसी अव्यवस्थाओं के बाद भी जच्चा-बच्चा दोनों सुरक्षित है।

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