निपनिया गांव की प्रसिद्ध वनोपज चिरौंजी की बेहतर गुणवत्ता की वजह से बाजार में खासी मांग, निपनिया की चिरौंजी को दिलाई पहचान
निपनिया गांव की प्रसिद्ध वनोपज चिरौंजी की बेहतर गुणवत्ता की वजह से बाजार में खासी मांग, निपनिया की चिरौंजी को दिलाई पहचान
कटनी ॥ महंगे ड्राई फूट्स में शामिल चिरौंजी की प्रोसेसिंग और बेहतर पैकेजिंग कर इसकी खुले बाजार में ब्रिकी कर कटनी जिले के निपनिया, केवलारी के ग्रामीण आदिवासी समृद्धि की नई इबारत लिख रहे है। यहॉे चिरौंजी की प्रोसेसिंग इकाई लगने से सबसे बड़ा फायदा यह हुआ कि आदिवासियों को बहला-फुसलाकर इनसे कम कीमत में चिरौंजी की गुठली खरीदनें वाले व्यापारियों और बिचौलियों से ग्रामीणों को मुक्ति मिल गई है और अब वे ज्यादा मुनाफा कमा रहे है। निपनिया गांव की प्रसिद्ध वनोपज चिरौंजी की बेहतर गुणवत्ता की वजह से बाजार में खासी मांग है । कलेक्टर अवि प्रसाद बताते है कि निपनिया और केवलारी गांव में चार वृक्ष बहुतायत में हैं। व्यापारी और बिचौलिये आदिवासियोंसे सौ-सवा सौ रूपये प्रति किलो की दर से इसे खरीद लेते थे। इससे ग्रामीणों की बजाय व्यापारियों को सीधा फायदा होता था। इस समस्या से आदिवासियों को निजात दिलाने कृषि विभाग की आत्मा परियोजना के माध्यम से गांव में रानी दुर्गावती बहुउद्देशीय सहकारी समिति का गठन कर बैंक के माध्यम से चिरौंजी प्रसंस्करण इर्काइं स्थापित कराई गई। जिससे प्रसंस्करण और पैकेजिंग कर समिति अब 100-100 ग्राम के चिरौंजी पैकेट 180 रूपये मूल्य पर बेंच रही है और आर्थिक रूप से सशक्त हो रहे हैं । इससे ग्रामीण आदिवासियों को सीधा मुनाफा मिल रहा है और वे आत्मनिर्भर हो रहे हैं । समिति के सदस्यों को नगद भुगतान कर कलेक्टर श्री प्रसाद ने स्वयं चिरौंजी का पैकेट खरीदा है। कलेक्टर श्री प्रसाद ने बताया कि निपनिया की चिरौंजी की पूरे देश में ब्राडिंग की जायेगी । साथ ही यहॉे और अधिक उत्पादन बढ़ाने उत्पादन बढ़ाने ,यहॉं चार के पौधों के सघन पौधारोपण की भी योजना है। ताकि भविष्य में और अधिक मात्रा में चार की गुठिलियॉे ग्रामीणों को मिलें और वे अधिक आय अर्जित कर सकें। परियोजना संचालक आत्मा रजनी चौहान ने दोनों गांवों को मिलाकर करीब साढे़ छह सौ की आबादी वालें गांव में 500 से 600 चार चिरौंजी के वृक्ष हैं। इनसे करीब 6 हजार किलो ग्राम चिरौंजी निकलती है। जिसे बाजार में 1600 रूपये प्रति किलोग्राम की दर से बेचने पर 24 लाख रूपये का शुद्ध लाभ प्राप्त हो रहा है। स्थानीय ग्रामीण मदन सिंह और उर्मिला बाई ने बताया कि अधिकारियों की मदद से प्रोसेसिंग यूनिट लगाने के बाद से हमें मुनाफा होने लगा है जबकि पहले हम चिरौंजी की गुठलियों को एकत्रित करके सीधे व्यापारी को बेंच देते थे। इससे हम लोगों को तो कम पैसा मिलता था, लेकिन व्यापारी दोगुने से अधिक लाभ कमाता था । लेकिन अब हम अच्छी कीमत पाकर खुश हैं।