धनपुरी-बकहो में भाजपा बांट रही उपाध्यक्ष पद की रेवड़ी
गुटबाजी में पड़ी स्थानीय विधायक, विरोध में 40 प्रतिशत आबादी
कोयलांचल के धनपुरी और बकहो निकाय में भारतीय जनता पार्टी जीत के करीब होने के बाद भी असली और नकली व आरक्षित तथा अनारक्षित के आरक्षण को अपने हिसाब से तय करने के फेर में उपाध्यक्षों की रेवड़ी बांट रही है, वहीं दोनों ही निर्णायक निकायों से आ रही विरोध की आवाजें भले ही दबा दी जाये, लेकिन इसकी गूंज से 2023 में जैतपुर विधान सभा बचाना मुश्किल हो सकता है। 

शहडोल। 20 जुलाई को धनपुरी नगर पालिका की नई परिषद के लिए मतगणना संपन्न हुई, जिसमें कांग्रेस के 13, भाजपा के 9 और 6 निर्दलीय पार्षद चुनकर आये, आने वाले कुछ दिनों में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के लिए यही 28 पार्षद अपने में से ही उनका चयन करेंगे। कांग्रेस की ओर से शोभाराम पटेल को अध्यक्ष और हनुमान खण्डेलवाल को उपाध्यक्ष के लिए लगभग तय कर दिया गया है। वहीं भारतीय जनता पार्टी ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष का परिवार एक बार फिर कुर्सी पाने के लिए आतुर नजर आ रहे हैं। यही कारण है कि शहडोल और भोपाल में बैठे भारतीय जनता पार्टी के संगठन ने अभी अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के नाम न तो तय किये हैं न ही इसकी घोषणा की है, बावजूद इसके धनपुरी के तथाकथित भाजपा नेता नौकरशाहों के साथ मिलकर उपाध्यक्ष पद की रेवड़ी बांट रहे हैं, जिसकी चर्चा हर चौराहे पर है।
9 के माथे अध्यक्ष उपाध्यक्ष
भारतीय जनता पार्टी परिषद पर कब्जे के लिए जहां निर्दलियों को लगभग अपने पक्ष में कर चुकी है, वहीं कांग्रेस में भी सेंध लगाने के दावे किये जा रहे हैं, ऐसा करना भाजपा के लिए मुश्किल भी नहीं है, लेकिन संगठन की घोषणा और बिना सर्वे के ही पहले इन 9 में से एक ने खुद को अध्यक्ष घोषित कर लिया और कांग्रेस और निर्दलियों को उपाध्यक्ष बनाकर अपने जुगाड़ में बिसात बिछाई जा रही है, इन सबके पीछे यह कारण भी है कि अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव के दौरान पहले अध्यक्ष का चुनाव होना है और बाद में उपाध्यक्ष का। भाजपा के स्वयं-भू अध्यक्ष और उनकी टोली ने आधा दर्जन पार्षदों को उपाध्यक्ष का वायदा कर दिया है, जिसमें वार्ड नंबर 9 से चुनकर आये भाजपा की श्रीमती सुनीता अरविंद सिंह के अलावा पूर्व जिलाध्यक्ष इन्द्रजीत सिंह छाबड़ा के सबसे करीबी और वार्ड नंबर 20 से चुनकर आये आनंद कचेर का नाम भी है, वहीं निर्दलियों और कांग्रेस से भी दो-दो पार्षदों को उपाध्यक्ष का वायदा किया गया है, भाजपा का यह दांव भले ही इन 6 में से किसी को उपाध्यक्ष बना पाये या न बना पाये, लेकिन वायदे के इस लॉलीपॉप से अध्यक्ष के लिए उनसे वोट लेने की योजना बनाई गई है, सिर्फ इसी समीकरण से भाजपा की गिनती 9 से 15 तक पहुंच रही है, अध्यक्ष का चुनाव पहले होने के दौरान उनसे वोट ले लिए जायेंगे, फिर उपाध्यक्ष के लिए भले ही सिर फुटौव्वल की स्थिति क्यों न निर्मित हो जाये।
क्या असली पिछड़ों को हक
धनपुरी तथा बकहो निकाय में इन दिनों आरक्षण और अनारक्षण को लेकर चर्चाएं गरम है, बकहो में अनारक्षित और स्थानीय मूल निवासी को लेकर लड़ाई छिड़ी हुई है, वहीं धनपुरी की लगभग 40 प्रतिशत पिछड़ों की आबादी एकजुट होकर असली और नकली पिछड़े की खोजबीन में जुटी है, जैसे-जैसे चुनाव की तिथि नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे ही लोग असली को पीछे और नकली को आगे करने का ठीकरा भाजपा की स्थानीय विधायक श्रीमती मनीषा सिंह के ऊपर फोड़ रहे हैं, यह चर्चा भी है कि अपने खास और गुट को आगे बढ़ाने के लिए विधायक लगभग 80 प्रतिशत भाजपा के कार्यकर्ता और पदाधिकारियों के साथ कुल आबादी के 40 प्रतिशत पिछड़ों को दरकिनार कर रही है, जाहिर है नकली को असली बनाने में भले ही विधायक और उनका गुट कामयाब हो जाये, लेकिन अगले साल विधानसभा चुनावों में इसका खामियाजा स्थानीय विधायक और भाजपा को भुगतना पड़ सकता है।
गांव में हारे, अब शहर
जैतपुर विधायक श्रीमती मनीषा सिंह त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव में अपने समर्थित प्रत्याशी को सिर्फ 3 वोट ही दिलवा पाई और भाजपा की आपसी गुटबाजी को हवा देने के कारण ही वहां कांग्रेस ने बड़ी जीत हासिल की। जैतपुर विधानसभा चुनावों में धनपुरी और बकहो निकाय निर्णायक स्थिति में रहते हैं, वहीं लगभग सैकड़ा भर पंचायतों से आये अभिमत ने कांग्रेस को पहले ही कुर्सी दे दी है, असली और नकली पिछड़ा के खेल ने गांवों के बाद अब शहर जो भाजपा के गढ़ माने जाते हैं, वहां की 80 प्रतिशत भाजपा और कुल आबादी का 40 प्रतिशत पिछड़ा वर्ग भाजपा विधायक के विरोध में खड़ा नजर आ रहा है, यदि यही स्थिति रही तो, आने वाले विधानसभा चुनाव में जीत तो दूर वर्तमान विधायक को टिकट के भी लाले पड़ सकते हैं।