मेडिकल और जिला अस्पताल की नर्सों ने निकाला पैदल मार्च

आंदोलन को उग्र करने की दी चेतावनी
(सोनू खान +9425182589)
शहडोल। नर्सेस एसोसिएशन के आव्हान पर हड़ताल जारी है और तीसरे दिन बुधवार को मेडिकल और जिला अस्पताल की नर्सिंग आफिसर ने एक साथ मिलकर पैदल मार्च निकाला और धरना प्रदर्शन किया। जिला अस्पताल में सोमवार 10 जुलाई से ही प्रसूति वार्ड में सीजर केस नहीं हो रहे हैं। नर्सों की हड़ताल की वजह से स्वास्थ्य सुविधाएं लड़खड़ा चुकी है, प्रसव कराने जो महिलाएं जिला चिकित्सालय पहुंच रही है, उनको मेडिकल कालेज रेफर किया जा रहा है और मेडिकल कालेज में भी हड़ताल के कारण समस्या आने के कारण महिलाओं को या तो प्राइवेट अस्पतालों की ओर रूख करना पड़ रहा है।
हड़ताल से हो रही परेशानी
नर्सों की हड़ताल के कारण मेडिकल कालेज के आपरेशन थिएटर में भी सिर्फ इमरजेंसी डिलेवरी की जा रही हैं। मेडिकल कालेज के अधीक्षक डा.नागेंद्र सिंह का कहना है कि हमारे पास सिर्फ दो से तीन टेक्नीशियन ही हैं, जिनको किसी तरह से रोककर रखा है , इसलिए दूसरे सीजर केस हम नहीं करा पा रहे हैं, सिर्फ प्रसव वाले इमरजेंसी केस ही हम ले रहे हैं और सीजर करा रहे हैं। डा.नागेंद्र का कहना है कि हम लंबे समय तक इस तरह की व्यवस्था नहीं कर पाएंगे, इसलिए हड़ताल का खत्म होना जरूरी है। इन्होंने बताया कि निश्चित तौर पर नर्साे की हड़ताल से परेशानी तो हो रही है, मरीजों को दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं और समस्याएं बढ़ती ही जा रही हैं।
बुधवार को हड़ताल के तीसरे दिन नर्स स्टाफ ने जिला अस्पताल से शहर की सड़कों पर पैदल मार्च निकाला। इसका नेतृत्व नर्सेस एसोसिएशन मेडिकल कालेज की ओर से जिलाध्यक्ष मेरिना दास और जिला अस्पताल से रोड्रिक कुलदीप सिस्टर ने किया। जिला अस्पताल से रैली जयस्तंभ पहुंची और यहां से राजेंद्र टाकीज होते हुए गांधी चौक तक भ्रमण कर वापस जिला अस्पताल पहुंची। पैदल मार्च के बाद धरना स्थल पर ही सभी नर्सों ने टिफिन पर चर्चा की और हड़ताल की रणनीति तैयार की। तय किया कि हड़ताल के दौरान एकजुट रहेंगे और किसी भी तरह से काम नहीं करेंगे। साथ ही नर्सेस एसोसिएशन के संभागाध्यक्ष ने कहा कि अगर हमारी मांगे जल्द नहीं मांगी गई तो, एसोसिएशन उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होगा, साथ ही अभी तक दी जा रही आकस्मिक चिकित्सा के दौरान दी जा रही सेवा भी बाधित की जायेगी।
रिस्क नहीं लेना चाहते डॉक्टर
नर्सों की हड़ताल के कारण प्रसूति वार्ड में प्रसव का एक भी सीजर केस नहीं हो पाया है। यहां पर आमतौर पर हर दिन आठ से दस सीजर केस हो जाते हैं लेकिन 10 जुलाई से अब तक यहां एक भी सीजर केस डाक्टरों के द्वारा नहीं किया गया। कारण साफ है कि यहां का जो ट्रेंड स्टाफ है, वह पूरी तरह से हड़ताल पर हैं और डाक्टर रिस्क नहीं लेना चाहते हैं, जिसके कारण इमरजेंसी केस को मेडिकल कालेज रिफर किया जा रहा है। बुधवार को जब यहां जाकर स्थिति की जानकारी ली गई तो बताया गया कि सीजर केस नहीं हो रहे हैं। यही कारण है कि सीजर जहां होते हैं और जहां सीजर के बाद महिलाओं को भर्ती कर रखा जाता है वहां वार्ड में सन्नाटा पसरा रहा। नर्सेस एसोसिएशन का कहना था कि उनकी हड़ताल को डॉक्टरों का सहयोग नहीं मिल रहा है।
इनका कहना है
हड़ताल से मेडिकल कालेज में असर पड़ रहा है, हमारे पास दो से तीन टेक्नीशियन हैं, जिनके सहयोग से हम काम कर पा रहे हैं। सिर्फ इमरजेंसी डिलेवरी वाले सीजर केस ही हम कर पा रहे हैं, बाकी सीजर पूरी तरह से अभी बंद हैं। डा.नागेंद्र सिंह
अधीक्षक
शासकीय बिरसा मुंडा मेडिकल कालेज, शहडोल
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नर्सों की हड़़ताल के कारण समस्याएं तो आ रही हैं। रही बात सीजर की तो हमने डाक्टरों की मीटिंग कर उनको कहा है कि इमरजेंसी है तो, आप सीजर कीजिए हम स्टाफ मुहैया कराएंगे। मरीजों को किसी तरह की दिक्कत नहीं होने दी जाएगी।
डा.जी.एस. परिहार
सिविल सर्जन जिला अस्पताल, शहडोल