लीज की भूमि पर दबंगों के कब्जे : नोटिस के बाद कार्यवाही शून्य

मुख्यालय में ही दर्जनों मामले तरस रहे कार्यवाही को
तहसील कार्यालय के सामने एनजीओ को आवंटित भूमि पर संचालित है दुकान
गांधी चौराहे पर नेमीचंद जैन संचालित कर रहे दूसरे की भूमि पर दुकान
जिला प्रशासन द्वारा बीते एक पखवाड़े से अतिक्रमण विरोधी मुहिम चलाई जा रही है, जिसके बाद जिले के तमाम हिस्सों से लगातार नजूल के भूखंड न खाली कराने और नजूल की भूमि पर अतिक्रमण के साथ ही शासन द्वारा पूर्व में लीज पर दी गई जमीन पर दूसरों के कब्जे की शिकायतें भी सामने आ रही हैं, जिले के विभिन्न तहसीलों में ऐसी दर्जनों शिकायतें आज भी दम तोड़ रही है, जिसमें जिन व्यक्तियों को लीज दी गई थी, उनका तो कहीं अता-पता नहीं है लेकिन अन्य ने अपने भवन बना कर रखे हैं।
शहडोल। संभागीय मुख्यालय में ही दर्जनों ऐसे स्थान है जहां पर एक दशक से पूर्व में स्वयंसेवी संगठनों के अलावा अन्य उपकरण के संचालन के लिए शासन द्वारा सस्ते दरों पर करोड़ों की भूमि सालाना व मासिक किराए पर ली के रूप में आवंटित की गई थी, एक से डेढ़ दशक के दौरान इन भूखंडों पर जिन लोगों को लीज दी गई थी, उनका तो अता-पता नहीं है लेकिन अब उन स्थानों पर दूसरों ने अपने भवन तान रखे हैं, प्रशासन द्वारा अतिक्रमण विरोधी मुहिम चलाए जाने के बाद पूरे जिले से इस तरह के तमाम मामले लगातार सामने आ रहे हैं जिसमें कई शासकीय भवन पर अतिक्रमण तो कहीं नौकरशाहों द्वारा अतिक्रमण के मामले सामने आए हैं, वही मुख्यालय में ही दर्जनों स्थानों पर एक से डेढ़ दशक पूर्व दी गई लीज का गलत उपयोग करने के मामले भी आ रहे हैं, मुख्यालय स्थित सोहागपुर तहसील के ठीक सामने नीलकमल के नाम पर संचालित स्टेशनरी की दुकान का मामला प्रकाश में आया है, जिसमें एक से डेढ़ दशक पहले स्वयंसेवी संगठन को शासन द्वारा लीज दी गई थी, लेकिन हालात यह है कि बीते 3 सालों से संगठन के पदाधिकारी ही शासन से उक्त दुकान अथवा भूखंड मुक्त कराने के लिए आवेदन दे रहे हैं, हालात इतने बुरे हैं कि 2 वर्ष पहले इस संदर्भ में तहसीलदार सोहागपुर ने भारतीय महिला बाल विकास समिति सोहागपुर के आवेदन पर सुनवाई करते हुए 17 अप्रैल 2018 को इस मामले में अपना फैसला दिया था, नीलकमल बुक्स एंड स्टेशनर्स के संचालक नित्यानंद शुक्ला पिता बलराम प्रसाद शुक्ला को आदेश जारी करते हुए स्पष्ट किया था कि, निर्धारित दिवस के अंदर भवन-भूखंड खाली करें अन्यथा उनके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।
2 वर्षों पूर्व दो बार जारी हुए आदेश
लगभग 2 वर्ष पूर्व 5 जनवरी 2018 को सोहागपुर तहसीलदार द्वारा इस संदर्भ में मुख्य नगरपालिका अधिकारी शहडोल को बेदखली का वारंट तामील कराने के लिए भेजा गया था, बेदखली वारंट में इस बात का स्पष्ट उल्लेख किया गया था कि, न्यायालय राजस्व प्रकरण क्रमांक 61 की सुनवाई करने के दौरान 5 जनवरी 2018 को यह आदेश पारित किया गया है कि नित्यानंद शुक्ला पिता बलराम प्रसाद शुक्ला निवासी वार्ड नंबर 2 सोहागपुर के द्वारा शासकीय नजूल आराजी खसरा क्रमांक 720 बटे 605 भाग 25 गुणे 27 स्क्वायर फीट से बेदखल किया जाना है। यही नहीं इसके साथ ही अतिक्रमण करने वाले नित्यानंद शुक्ला पर ₹25000 का अर्थदंड भी आरोपित किया गया था, आवेदक द्वारा पूर्व में भी आदेश देने के बाद भी रखने से अतिक्रमण नहीं हटाया गया था, जिसके बाद इस पत्र में तहसीलदार ने यह भी उल्लेख किया कि मुख्य नगरपालिका अधिकारी न्यूनतम बल का उपयोग करते हुए 7 दिवस के अंदर कार्यवाही कर प्रतिवेदन न्यायालय में प्रस्तुत करें। इस पत्र की प्रतिलिपि स्थानीय पुलिस थाने, एसडीएम कार्यालय को भेजी गई थी लेकिन इसका पालन न होने के कारण 17 अप्रैल 2018 को पुनः तहसीलदार कार्यालय से पत्र जारी करते हुए इसी भूखंड से बेदखली के आदेश जारी किए गए लेकिन इसका पालन भी आज तक नहीं हुआ।
एनजीओ को दी थी लीज
राजस्व विभाग के दस्तावेज खुद इस बात की पुष्टि करते हैं कि, उक्त भूखंड भारतीय महिला बाल विकास समिति सोहागपुर को आवंटित किया गया था, लेकिन जब इस पर नित्यानंद शुक्ला के द्वारा कब्जा कर लिया गया तो खुद स्वयंसेवी संगठन ने न्यायालय की शरण ली तथा 16 मार्च 2018 को मामला दूसरी बार तहसील न्यायालय पहुंचा, पूर्व की तरह इस बार भी तहसीलदार कार्यालय ने आदेश जारी करते हुए राजस्व निरीक्षक सोहागपुर तथा थाना प्रभारी सोहागपुर के साथ स्थानीय नगर पालिका को पत्र भेजकर भूखंड से अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए । 24 अप्रैल 2018 को स्वतः अधिकारियों को तहसील न्यायालय में उपस्थित होकर जवाब प्रस्तुत करने के आदेश दिए थे।
नौकरशाहों ने दे दी राहत..!
तहसील कार्यालय सहित अनुविभागीय कार्यालय में बैठे बाबुओं ने नीलकमल बुक्स एंड स्टेशनर्स के संचालक नित्यानंद शुक्ला के साथ मिलकर ऐसा खेल-खेला की, स्वयंसेवी संगठनों तहसीलदार के आदेश आज तक निर्णय के लिए तरस रहे हैं, इसमें यह भी जानकारी सामने आई कि स्वयंसेवी संगठन के द्वारा तहसील न्यायालय में की गई अपील और उसके निर्णय का पालन न होने के कारण उन्होंने माननीय उच्च न्यायालय की शरण ली थी, लेकिन वहां से आदेश आने के बाद भी इस परिपालन में कोई भी कार्यवाही आज तक होती नहीं दिखी। दूसरी तरफ इस संदर्भ में नित्यनाद शुक्ला का कहना है कि उसने माननीय उच्च न्यायालय से स्थगन ले लिया है, बहरहाल मामला जो भी हो लेकिन जब प्रशासन शासकीय भूखंडों को अतिक्रमण से मुक्त कराने की मुहिम चला ही रहा है, ऐसे में लीज पर दिए गए भूखंडों पर बेजा कब्जा करने वाले व्यक्तियो को भी जांच के दायरे में लेना चाहिए और कानूनी पेचीदगियों से फायदा