धनपुरी में रार : 3 समझौतों ने दिलाई बीजेपी को जीत,फूट के बाद साथ निभाने की काम खा रहे कांग्रेसी

,धनपुरी। 8 अगस्त को नगर के अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के चुनाव संपन्न हुए, इसमें कांग्रेस में आई फूट का भाजपा ने पूरा फायदा उठाया और 28 में 9 पार्षद होने के बाद भी संख्या को 16 तक पहुंचाते हुए परिषद पर पुनः कब्जा कर लिया, इधर कांग्रेस में क्रास वोटिंग को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर लगातार चल रहा है, बुधवार को नपा परिसर में शपथ ग्रहण कार्यक्रम का आयोजन हुआ, लेकिन इसमें कांग्रेस पार्षदों को नहीं बुलाया गया, यही नहीं मंच पर भाजपा के पार्षद, अध्यक्ष के अलावा बुढ़ार के पूर्व अध्यक्ष, संगठन के पदाधिकारी, भाजपा विधायक ही मौजूद रहे, कांग्रेस के किनारे रहने के बाद कार्यक्रम में नगर के दर्जनों प्रबुद्धजन पहुंचे थे, लेकिन वरिष्ठजनों व समाजसेवियों को भी मंच की जगह सामने की कुर्सियों पर बैठाया गया, वहीं संगठन के नौसिखिया मंच पर आसीन रहे। कार्यक्रम पूरी तरह भाजपा मय हो गया, भले ही इसका आयोजन नपा परिसर में नपा के खर्चे पर किया गया। इधर कांग्रेस ने पूरे कार्यक्रम का बॉयकॉट कर दिया, नपाउपाध्यक्ष हनुमान खण्डेलवाल ने कहा कि कार्यक्रम में कांग्रेस पार्षदों को नहीं बुलाया गया, यही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि 8 अगस्त को ही प्रथम सम्मेलन संपन्न हो चुका है, ऐसी स्थिति में आज आयोजित कार्यक्रमू का कोई औचित्य नहीं है, फिजूलखर्ची और दिखावे के लिए सरकारी धन की बर्बादी का कांग्रेस विरोध करती है।
चुनावों से आई भाजपा में एकजुटता
नगर पालिका में आयोजित कार्यक्रम में मंच पर एक सिरे से बुढ़ार नगर परिषद अध्यक्ष कैलाश विश्नानी और दूसरे सिरे से पूर्व नगर परिषद अध्यक्ष श्रीमती शालिनी सरावगी, राज कुमार सरावगी के अलावा जिला उपाध्यक्ष राकेश तिवारी, मण्डल अध्यक्ष हेमंत सोनी और दूसरी पंक्ति में भाजपा के साथ निर्दलीय पार्षद भी बैठे नजर आये, चुनावों से पहले कोयलांचल में भाजपा दो धड़ो में बटी हुई थी, लेकिन चुनावों के दौरान इसे संगठन की एकजुटता कहें या फिर आपसी हितों का गठबंधन, मामला चाहे जो भी हो, लेकिन अगले किसी विवाद तक भाजपा में एकजुटता आना अच्छे संकेत हैं।
क्रास वोटिंग के बाद भी गठबंधन
8 अगस्त को अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव के दौरान कांग्रेस को कुछ निर्दलीय पार्षदों का समर्थन भी मिला, जिसके बाद 13 से बढ़कर संख्या और अधिक होनी चाहिए, लेकिन उल्टे घटकर 11 हो गई, इधर बुधवार को शपथ ग्रहण समारोह का विरोध करने के लिए कांग्रेस पार्षद जब एकजुट हुए तो, उनकी संख्या फिर बढ़कर 13 हो गई, पहले की तरह सबने कांग्रेस के प्रति आस्था बताई, बल्कि खबर तो यह भी है कि इस दौरान सभी ने क्रास वोटिंग करने के आरोपों का खुलकर खण्डन किया। यह अलग बात है कि सोशल मीडिया में कांग्रेस के इस गठबंधन और क्रास वोटिंग को लेकर स्थानीय जन हर घंटे नया-नया खुलासा कर रहे हैं।
मुखिया दरकिनार: संगठन दमदार
धनपुरी के निकाय चुनावों से पहले कोयलांचल की भाजपा अलग-अलग धड़ों में बटी थी, कोई जिलाध्यक्ष के खेमे में होने का दावा करता था तो, स्थानीय विधायक और पूर्व जिलाध्यक्ष का अलग ही खेमा था, लेकिन कारण जो भी हो, धनपुरी के चुनावों ने बिना मुखिया के ही पूरे भाजपाईयों को एक सूत्र में इस तरह पिरो दिया कि जनता के द्वारा नकारे जाने के बाद भी कूटनीतिक जीत हासिल करते हुए परिषद में बहुमत पा लिया गया। जाहिर है, इससे कोयलांचल की भाजपा पूरे जिले में मजबूत होगी और यह भी चर्चा है कि धनपुरी की जीत के बाद बुढ़ार नगर परिषद की जीत और बुढ़ार से ही पार्टी का अगला जिलाध्यक्ष तय कर लिया गया है। जिसे अब दो नहीं बल्कि तीनों विधायकों का समर्थन भी मिलना तय है, मजे की बात तो यह है कि इस नये गठबंधन में संगठन के मुखिया की कोई भूमिका नजर नहीं आ रही।