भ्रष्ट सचिव पर कार्र्रवाई करने में छूट रहे पसीने

जेल के बंदी का भी नाम जोड़ा मस्टर रोल में
सालों में भेजा कार्रवाई के नाम नोटिस
शहडोल। गोहपारू जनपद अंतर्गत स्थित ग्रामपंचायत मोहतरा में एक लंबे अर्से से व्याप्त भ्रष्टाचार का मामला आए दिन सुर्खियों में रहता है। हर सक्षम अधिकारी यहां की गतिविधियों को भलीभांति जानता है लेकिन हैरानी की बात यह है कि आज तक यहां न जांच हुई और न कोई खुलासा हुआ। हालत यह है कि सीईओ जनपद ने भारी मन से इतना बताया कि अभी नोटिस जारी की गई है। सालों से चल रहे गड़बड़झाले की अभी नोटिस जारी की गई है पता नहीं कार्रवाई कब होगी।
महीनों पहले शिकायत हुई थी
सीईओ जनपद गोहपारू से एक शिकायत की गई थी जिसमें ग्रामपंचायत मोहतरा के प्रभारी सचिव की अंधेरगर्दी का जिक्र करते हुए जांच की मांग की गई थी। प्रभारी सचिव पवन पाण्डेय ने निर्माण कार्य के मस्टर रोल में अपने ऐसे सगे संबंधियों का नाम जोडक़र उन्हे लाभ दिलाया जो कि जेल में हैं या फिर नौकरी कर रहे हैं। जबकि इनके द्वारा निजी लोगों को लाभ दिलाना या निजी तौर पर योजना का लाभ लेना प्रतिबंधित है। सवाल यह है कि क्या इस मामले की गहन जांच पड़ताल होगी? जब किसी माध्यम से शासन प्रशासन का ध्यान ऐसे गंभीर मामलो की ओर आकृष्ट कराया जाता है तब भी उदासीनता क्यों बरती जाती है?
जेल में था संबंधी
कुछ वर्षों पूर्व पंच परमेश्वर योजना के तहत एक निर्माण कार्य में प्रभारी सचिव ने अंधेर की हद पार कर दी। उसने अपने सगे संबंधियों को मजदूरी में नाम जोडक़र उन्हे लाभ दिलाया। इसी तारतम्य में उसने अपने रिश्तेदार पवन पाण्डे का भी नाम जोड़ा और उसे लाभ दिलाया जबकि यह व्यक्ति दुराचार के आरोप में 6 माह से जेल में बंद था। इसी से पता चलता है कि ग्रामपंचायतों के सरपंच सचिव शासकीय प्रावधानों का कितना पालन कर रहे हैं। वे केवल अपना राज चला रहे हैं। इनकी खाल कभी खींची नहीं जाती, शायद इसलिए इनके द्वारा कानून कायदों के परखच्चे उड़ाए जाते हैं।
शासकीय सेवक को लाभ
सचिव का एक भाई प्रकाश पाण्डेय नल जल योजना में वर्षों से नौकरी कर रहा है उसे मजदूरी का लाभ दिलाया गया। इसके अलावा एक भाई प्रशांत पाण्डे जो कि सेंट्रल बैंक का कियोस्क खोलकर दूकान चलाता है उसे भी लाभ दिलाया गया। लाभ के मामले में उसने अपने पिता को भी नहंी छोड़ा पिता केके पाण्डे उम्र 65 वर्ष को भी मजदूरी का लाभ दिलाया था। इनका नाम भी मस्टर रोल मेें है। यहां उल्लेख करना जरूरी है कि नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए नाम दर्ज करना केवल सचिव की मर्जी पर निर्भर करता है।
पांच वर्षों में लाखों का भुगतान
शिकायत में लेख किया गया है कि वर्ष 2017 से 10 मई 22 तक की अवधि में पंच परमेश्वर योजना मद अंतर्गत पंचायत के खाते से 11 लाख 50 हजार रुपए की राशि आहरित की गई थी। जबकि निर्माण कार्यों का न तो टी एस कराया गया न मूल्यांकन कराया गया। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों के किसी ग्रामीण को योजना अंतर्गत मजदूरी का कार्य भी नहीं दिया गया। जबकि योजना का उद्देश्य यही है कि योजना मद से विकास कार्य हों और गांव के लोग स्वयं अपना कार्य कर रोजगार प्राप्त करें। लेकिन हो यह रहा है कि लोगों को तो काम मिला नहीं प्रभारी सचिव ने मनमाना निर्माण कार्य कराकर अपने लोगों को उपकृत कर शासन का पैसा डकार लिया था। इस बात की जानकारी पंचायत के करीब 20 पंचों ने दी थी। उन्होने स्वयं जांच की मांग भी की थी। बिना टीएस तकनीकी स्वीकृति के और बिना मूल्यांकन के पंचायत खाते से राशि आहरित करना एक गंभीर वित्तीय कदाचार का मामला था। इसके लिए तत्काल कड़े कदम उठाए जाकर प्रभारी सचिव की खबर ली जानी चाहिए थी। लेकिन अभी तक कोई शिकन नहीं आई है।
इनका कहना है
उक्त मामले में जांच के बाद प्रतिवेदन जिला पंचायत भेजा गया था। जिला पंचायत से नोटिस जारी प्रभारी सचिव को जारी हुआ था। हालांकि अभी उक्त प्रभारी सचिव ही वित्तीय प्रभार पर हैं। उन्हे हटाना जिला पंचायत के कार्यक्षेत्र में आता है।
वेदमणि मिश्रा
सीईओ, जनपद गोहपारू