10 हजार की खातिर पीएम आवास के आड़े आये तहसीलदार @ पीडि़त महिला ने 30 किलोमीटर चलकर कलेक्टर को दी लिखित शिकायत

बुढ़ार तहसीलदार दीपक पटेल पर फिर लगे रिश्वतखोरी के आरोप

आशीष कचेर  शहडोल। प्रदेश सहित केन्द्र सरकार की सबसे महत्वकांक्षी प्रधानमंत्री आवास योजना के आड़े सरकार के ही
नौकरशाह आ रहे हैं, बुढ़ार तहसीलदार दीपक पटेल के द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बेवा महिला का
आवास बनाने के मामले में पहले स्टे दिया गया और स्टे हटाने के एवज में खुद तहसीलदार ने महिला से 10 हजार
रूपये मांग लिये, पैसे न होने के कारण उसका काम अटक गया, एक तरफ महिला के सर से छत चली गई और दूसरी
तरफ रिश्वतखोरी का जिन्न प्रधानमंत्री आवास योजना को फलीभूत होने के आड़े आ गया, बहरहाल महिला ने इस
मामले की शिकायत जनसुनवाई में पहुंचकर शहडोल कलेक्टर से की है।
यह हैं आरोप
महिला ने आरोप लगाये कि वह काफी निर्धन है, 2004 में उसके पति का देहांत हो चुका है, गरीबी रेखा के नीचे
जीवनयापन करती है, परिवार के हिस्से में 11 किता जमीन में मेरा नाम दर्ज हुआ था, ससुराल वाले वहां से हटाना
चाहते हैं, खसरा नंबर 366 के मैनें दस्तावेज संलग्न कर प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए आवेदन दिया था, जो
स्वीकृत भी हो गया, निर्माण कार्य जैसे ही शुरू हुआ, इस मामले में तहसीलदार कार्यालय से स्टे जारी हो गया, जब
मुझे जानकारी लगी तो, मैं तहसील पहुंची, कमरा नंबर 3 में तहसीलदार दीपक पटेल बैठते हैं, मैंने वहां आवेदन दिया,
कुछ हल नहीं निकला, दोबारा गई तो, तहसीलदार तीन नंबर कमरा के बगल वाले कमरा में बैठे थे, मैनें हाथ जोड़े तो,

उन्होंने कहा कि तुम काम चालू करवा दो और मुझे 10 हजार लाकर दे दो। नहीं तो काम चालू नहीं हो पायेगा, मेरे पास
पैसे नहीं थे, थक-हार कर आज जनसुनवाई आई हंू, न्याय चाहती हंू।
यह था स्थगन का सार
तहसीलदार कार्यालय बुढ़ार के द्वारा इस मामले में आदेश क्रमांक 775 दिनांक 24 जनवरी को जारी किया गया,
जिसमें जयप्रसाद केवट पिता दादूराम केवट निवासी ग्राम झगरहा बनाम उर्मिला केवट, रश्मी केवट, सीमा केवट
सभी पिता उमेश केवट निवासी ग्राम झगरहा तहसील बुढ़ार के मामले में सुनवाई के उपरांत आदेश जारी किया गया
कि आवेदक जयप्रसाद केवट पिता दादूराम केवट निवासी ग्राम झगरहा के द्वारा ग्राम झगरहा स्थित भूमि खसरा
क्रमांक- 366 रकबा 0.067, 380 रकबा 0.028, 382 रकबा 0.040, 386 रकबा 0.049, 470 रकबा 0.038, 477 रकबा
0324, 479 रकबा 0.067, 480 रकबा 0.065, 628/2 रकबा 0.113, 634, रकबा 0.129, 715 रकश 0.065, कुल 11
किता भूमि के संबंध में संहिता की धारा 250 के तहत आवेदन पत्र पेश किया गया है। आवेदक के द्वारा संहिता की
धारा 250 (3) के तहत आवेदन पेश कर स्थगन आदेश जारी किये जाने का निवेदन किया गया है। सुनवाई उपरांत
भूमि पर अनावेदकगणों के द्वारा किये जा रहे निर्माण कार्य पर बटवारा पत्रक आने तक के लिए यथास्थिति बनाए
रखने हेतु स्थगन आदेश जारी किया जाता है।

आखिर बुढ़ार ही क्यों चर्चा में
बुढ़ार तहसील और यहां पदस्थ तहसीलदार दीपक पटेल के ऊपर पहली बार रिश्वत मांगने के आरोप नहीं लगे हैं, जब
से श्री पटेल बुढ़ार पदस्थ हुए हैं, तभी से इस तरह की चर्चाएं आये दिन सामने आती रही है, यह भी आरोप लगे हैं कि
बुढ़ार तहसील में पदस्थ चंद बाबू और पटवारी से लेकर अधिवक्ता और अब तो, दर्जन भर दलाल भी इस काम में लगे
हुए है, जिन मामलो में शिकायतकर्ता नहीं होते हैं, उसमें भी फर्जी शिकायत करवा कर लेन-देन का खेल हो रहा है।
दलाल और बाबू सहित पटवारी तो सीधे पहले ही रिश्वत मांगते थे, लेकिन दीपक पटेल के बुढ़ार पहुंचने के बाद
तहसीलदार पर पहली बार सीधे रिश्वत मांगने के आरोप लगे हैं। सवाल यह भी उठता है कि आखिर जिले में 5 अन्य
तहसीले भी हैं, जहां इस तरह के काम होते हैं, लेकिन तहसीलदार बुढ़ार और तहसील कार्यालय बुढ़ार रिश्वतखोरी में
सबसे ज्यादा बदनाम क्यों है।
इनका कहना है…
मामले में आवेदन आया था, इसलिए पक्ष सुनने के बाद स्थगन अगली सुनवाई तक देना न्यायोचित है, महिला
लडाकू किस्म की है, उसने पटवारी से अभद्रता भी की थी, यदि सार्थक दस्तावेज सामने आयेंगे तो, स्टे हटाया जा
सकता है।

दीपक पटेल
तहसीलदार, बुढ़ार

यह बहुत गंभीर मामला है, महिला को न्याय मिलेगा, यदि शिकायतें बार-बार आ रही है तो उसकी गंभीरता से जांच
कराई जायेगी।
श्रीमती वंदना वैद्य
कलेक्टर, शहडोल

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