संरक्षित क्षेत्र से सटकर दिग्गज नेताओं के रिसोर्ट का निर्माण कार्यवाही के मामले में प्रबंधन ने टेके घुटने

कमलेश यादव

बांधवगढ़, सर्वोच्च न्यायालय हो या भारत सरकार अथवा राज्य सरकार टाइगर रिजर्व को बचाने के लिए कितना भी चिंतित होकर कितनी भी गाइडलाइन क्यो न जारी कर ले किंतु उपरोक्त पार्क का अस्तित्व खत्म करने में टाइगर रिजर्व बीटीआर का अमला पीछे नजर नहीं आ रहा है।
मध्य प्रदेश के सभी टाइगर रिजर्व स्टेट का दर्जा व तेंदुआ स्टेट के दर्जे से पूरे विश्व की के नक्शो में प्रदेश अपनी छवि अलग ही निखारते नजर आता है जिसमें बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व की छवि तो अलग ही निराली है जिसे विश्व में टाइगरो का सम्राट गढ़ कहा जाता है, जिसके संबंध में सर्वोच्च न्यायालय से लेकर भारत सरकार और राज्य सरकार ने टाइगर रिजर्व को बचाने हेतु कई प्रकार की गाइडलाइन बनाई हैं किंतु उपरोक्त पार्क का अस्तित्व खत्म करने में वन विभाग का अमला लगा हुआ है। उपरोक्त मामला बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के अंतर्गत उपवन मंडल मानपुर, व पनपथा दोनो के सीमा वन परिक्षेत्र मानपुर और वन परिक्षेत्र पतौर के कोर एरिया आरएफ 390 सीमा से सट कर वन परिक्षेत्र मानपुर बफर कुचवाही बीट कंपार्टमेंट नंबर 342 ग्राम गुरुवाही जो की इको सेंसिटिव जोन है, जो कोर क्षेत्र सीमा से सटा हुआ है तथा 0मीटर की दूरी पर वन विभाग का चेक पोस्ट भी मौजूद है साथ ही 500 मीटर की दूरी पर वन परिक्षेत्र कार्यालय पतौर भी मौजूद है उपरोक्त जमीन जो कभी किसी निजी आदमी के कब्जे में नहीं थी उपरोक्त भूमि पर लगभग 500 से 1000 सभी प्रकार के प्रकृति के जंगल वृक्ष भी मौजूद है,उक्त भूमि पर राजस्थान एवम मध्यप्रदेश में वर्तमान में नामी गामी चल रही दोनो पार्टी के पक्ष व विपक्ष के दिग्गज नेताओं का रिसोर्ट का निर्माण चल रहा है जिस पर प्रबंधन को कार्यवाही करना अपने आप में एक चुनौती देना है वही उपरोक्त कार्य निर्माण से वन्य प्राणियों के कारीडोर मार्ग पूर्ण तह बंद हो चुके है निर्माण के संबंध में विगत वर्ष पूर्व तत्कालीन बीटीआर के अधिकारियो को सूचना दी गई थी जिस पर रोक भी लगी हुई थी , उपरोक्त अधिकारियो का स्थानांतरण होने के बाद बीटीआर के वर्तमान अधिकारियों की मिलीभगत में वफर सीमा व कोर सीमा से सट कर रोड बनवाते हुए बाउंड्री वॉल का व रिसोर्ट का निर्माण कार्य चालू करा दिया गया है जिसमें लग भग 3से 4 नए कमरे भी।बना दिए गए है।

संरक्षित क्षेत्र के बाउंड्री वॉल से सट कर नहीं हो सकता निर्माण :

भारत सरकार के राज्य पत्र दिनांक 13 दिसंबर 2016 व माननीय सर्वोच्च न्यायालय के विगत वर्ष अग्रिम आदेश व पारित नियमों के अधीन संरक्षित क्षेत्र के बाउंड्री वॉल के 2 किलोमीटर के अंदर कोई भी नया कार्य निर्माण व कमर्शियल निर्माण नहीं हो सकता किंतु बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में सभी नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए प्रबंधन की मिलीभगत में खुलेआम रिसोर्ट का निर्माण चारों तरफ हो रहा है, जिस पर प्रबंधन के कार्यशैली पर कहीं ना कहीं संदिग्धता जताई जा रही है।

सर्वोच्च न्यायालय ने भी कार्य निर्माण पर लगाई रोक

टाइगर रिजर्व के अंदर अगल-बगल हो रही ऐसी कार्य निर्माण प्रक्रिया के ऊपर अभी विगत वर्ष माननीय सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा भी अग्रिम आदेश तक के लिए कार्य निर्माण पर रोक लगा दी गई हैं शायद यह आदेश बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के आला अफसर व उपरोक्त आदेश से संबंधित समस्त जवाबदार अधिकारी निर्माणकर्ता मालिक दिग्गज नेताओं को पालन करा पाने में असफल हो रहे है यदि सूत्रों की मानें तो उपरोक्त आदेश की आड़ में प्रबंधन न्यायालय व भारत सरकार के प्रतिबंधित आदेश का हवाला देते हुए टाइगर रिजर्व के अगल-बगल हो रहे सभी निर्माण से संबंधित कार्य में अपना हाथ साफ करने में पीछे नहीं आ रहा जो भी निर्माण कर्ता उपरोक्त अधिकारियों के संपर्क में आ जाए तो कागजों पर तो रोक लगा दी जाती है किंतु मौके पर निर्माण कार्य चालू रहता है लोगों का मानना है कि अगर बीटीआर प्रबंधन की ऐसी ही उदाशीन रवैया चलती रही और ऐसे प्रक्रिया में संलिप्त अधिकारियों व कर्मचारियों पर कार्यवाही नहीं हुई तो एक दिन विश्वविख्यात बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व का अस्तित्व खत्म हो जाएगा

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