पवित्र नगरी अमरकंटक मार्ग में पर्यटक अपने हाथो से खिलायें बंदरों को दाने

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पवित्र नगरी अमरकंटक मार्ग में पर्यटक अपने हाथो से खिलायें बंदरों को दाने
अनूपपुर से पवित्र नगरी अमरकंटक मार्ग में मिलता है हजारो बंदरो की टोली
पवित्र नगरी अमरकंटक जाने वाले मुख्य मार्ग में हजारो बंदरो की टोली सडकों में घूमते नजर आते है। अनूपपुर से राजेन्द्रग्राम के बीच किरर घाट में प्रसिद्व सिद्वबाबा जहां हनुमान जी विराजमान है, उनके आस-पास हजारो की संख्या में लाल बंदर रहते है, जहां प्रर्यटकों के यह दृश्य मनमोहक तो रहता ही है साथ ही खिलाने के लिए कई तरह के सामाग्री राहगीर ले जाते है, जिसे बडे ही चाव के साथ हाथो से भी ग्रहण कर लेते है।
अनूपपुर। जिला मुख्यालय से 60 किलोमीटर दूर माँ नर्मदा की पावध धरा पवित्र नगरी अमरकंटक की यात्रा बहुत ही सुहावनी व सुखद रहता है। यात्रा के द्वौरान मुख्य मार्ग के किनारे लगे छायादार वृक्ष व घने जंगलो का दृश्य अति मनमोहन होता है, पर्यटक जब इस मार्ग से गुजरते है तो उन्हे कब 60 किलोमीटर की दूरी पूरी हो जाती है पता ही नही चलता। मार्ग में पडने वाला किरर घाट का मुडना व इसके चोरो तरह मौजूद खाई और बडे-बडे वृक्षों को देखकर पर्यटक प्रफुल्लित हो उठते है, जगह-जगह फोटोग्राफी व वीडियों ग्राफी बनाकर सोशल मीडिया में भी दृश्य को उजागर करते है। हरे भरे वृक्षों व फलों से आल्लादित जंगल पवित्र नगरी की यात्रा को और सौंदर्य बना देता है।
मिलेंगे हजारो बंदर
्मुख्य मार्ग के आस-पास हजारो बंदर घूमते रहते है, यह बंदर किसी भी पर्यटक व राहगीरों को कभी नुकसान नही पहुंचाते है, बल्कि गाडियों को देखते हुए सकड के बीच में इसलिए आ जाते है कि कुछ न कुछ उनके लिए खाने की सामग्री अवश्य लेकर जा रहे होंगे। जानकार यात्री सदैव इनके खाने की सामग्री लेकर यात्रा करते है, इसलिए हर राहगीरों को देखते ही और गाडियों की आवाज सुनते ही इंतजार में सडक किनारे बैठा बंदरो का समूह अलग-अलग टोली में सकडों में नजर आने लगते है। गौरतलब हो कि बंदरो का समूह पूरे अमरकंटक मार्ग में लिते है, लेकिन सबसे ज्यादा किरर घाट में स्थित प्रसिद्व सिद्वबाबा हनुमान मंदिर में आस-पास हजारों की संख्या में सडकों में ही घूमते दिखाई देते है।
सडक किनारे डाले दाने
कई यात्री यात्रा के दौरान बंदरो के लिए खाद्य सामग्री तो ले जाते है, लेकिन डर के कारण गाडी से ही सडक में ही फेक देते है, जिससे कई बार यह बंदर दुर्घटना के शिकार हुए है। प्रतिष्ठित अखबार राज एक्सप्रेस ने सभी पर्यटकों व यात्रियों के साथ वाहन चालकों से यह अपील करता है कि बंदरो के खाद्य साम्रगी को गाडी रोक कर सडक किनारे ही डाले, यह बंदर कभी भी किसी भी राहगीरो को चोट नही पहुंचाते है, इसलिए जब भी बंदरो को कुछ खिलाने का मन करें तो पर्यटक गाडी से नीचे उतर कर सडक किनारे उनके लिए खाद्य सामग्री वितरण करें।
मान्यता यह भी है
बंदरों को खाद्व सामग्री के रूप में केला, चना, मूंगफली, भुट्टे का दाना, चिप्स, कुरकुरे जैसे अनेक वस्तुओ को बडे ही चाव के साथ खाते है। इनको खिलाने का यह भी मान्यत है कि यदि आपको मंगल के अशुभ प्रभाव के कारण गुस्सा अधिक आ रहा है। भाई से विचार नहीं मिलते, चोट आदि की संभावना रहती है तो मंगलवार को गुड़ और चना अथवा केला बंदरों को खिला कर उपरोक्त समस्याओं से मुक्ति पा सकेंगे, बंदर को केला, चना भूंजा हुआ और मूंगफली ये तीनों चीजे अत्याधिक पसंद हैं। शात्रियों के अनुसार जीवों को खिलाने से कई तरह की समस्याओं से निजात पाया जा सकता है साथ ही पापो से भी मुक्ति मिलती है।
खिला सकते है हाथो से
पवित्र नगरी अमरकंटक की यात्रा करने वाले लाखों पर्यटक बंदरो को देखकर उन्हे कुछ खिलाने के लिए सोचते तो है, लेकिन इनके काटने के भय के कारण सडकों पर ही फेकर कर चलते जाते है, लेकिन स्थानीय जानकारों व प्रबुद्वजनों के अनुसार यह बंदर आज तक किसी को चोट नही पहुंचाये है, कई यात्री तो अपने हाथो से खिलाते हुए दिखाई देते है। यह सभी खाद्य सामग्री को यात्रियों के हाथो से बडे ही चाव के साथ खाते है बल्कि ज्यादा डाटने से भाग भी जाते है और दौडाया गया तो भाग भी जाते है, इसलिए इन्हे अपने हाथो से प्यार से खिलाया जा सकता है।