रनर के सहारे बैटिंग करेगे,प्रभारी डीपीसी……और दुखी हो गए पाण्डेय जी

शहडोल।माननीय उच्च न्यायालय ने 24 फरवरी 2023 को त्रिपाठी जी का स्थगन आदेश डिस्पोज कर दिया, जिससे कलेक्टर द्वारा इन्हें जिले से कार्य मुक्त किया जाना था। थोडे विलंब से दिनांक 3 मार्च 2023 को मुन्ना भइया को डीपीसी की कुर्सी से मुक्त कर दिया। 3 मार्च का आदेश 3 दिन बाद 7 मार्च को पैदा हुआ, जिससे आदेश को सदेह की दृष्टि से देखा जाने लगा। जन चर्चा का विषय बन गया। संदेह मिटाने के लिए चौराहा चौपाल में एक अधभक्त ने बताया, इस आदेश की डिलेवरी में गंभीर समस्या आ गई थी। समय पूरा होने के बाद भी आदेश पैदा नहीं हो रहा था। जच्चा-बच्चा दोनों की जान को खतरा था। ऐसे में मदद के लिए सामने आए मुख्य शिकायतकर्ता नरेन्द्र मरावी नरेन्द्र द्वारा एक डिलेवरी दल बनाया एव दल को नार्मल डिलेवरी कराने के निर्देश दिये।
दल ने नार्मल डिलेवरी के लिए तीन दिन अथक मेहनत की, लेकिन सफलता नहीं मिली। दल बड़ी उलझान में था, केस उसकी इज्जत का सवाल बन गया था। परेसानी का पता लगने पर बाहर धीरे-धीरे भीड बढ़ने लगी, सभी आदेश को देखना एवं अपना आर्शीवाद देना चाहते थे, घबराकर कर दल ने सिजेरिन करने का मन बनाया, लेकिन इसकी अनुमति नहीं मिली। सूत्रों का कहना है कि मुन्ना भइया एवं अनुमति देने वाला अधिकारी, दोनो डिलेवरी में बिलब करना चाहते थे। जब अधिक समय बीत गया, और डिलेवरी नहीं हुई तो नरेन्द्र मरावी द्वारा भोपाल के किसी बड़े अधिकारी को फोन किया गया। खतरे को भाप, भोपाल के अधिकारी ने जिले
को बड़ी तेज आवाज में डॉटा आवाज इतनी कडक एवं गुस्से से भरी थी, की पूरा कमरा गूंज गया। तेज आवाज सुनते ही आदेश दन्न से बाहर टपक पड़ा। दल के चेहरे खिल उठे। खबर मिलते ही बधाई देने का सिलसिला शुरू हुआ, पूरे जिले में खवर फैल गई। अनततः भइया के डीपीसी युग का द इड हो गया। एक अंधभक्त ने कहा
अब समझा मे आया यह किसी ऐरे-गैरे, नत्थू खैरे का नहीं, मुन्ना भइया का आदेश था वो तो भइया ने इस अधिकारी की आवाज पहले भी कई बार सुनी थी, अन्यथा यदि किसी और की आवाज होती, तो आदेश होली का रंग-गुलाल लगा कर बुढवा मंगल के बाद ही पैदा होता। कहते है डिलेवरी में विलंब से शिशु में कुछ विकृतिया आ जाती है। आदेश को देखने से बात सही लगती है। कुछ सिकुडन भरा, घुघला घुघला सा पैदा हुआ है। आदेश के नजदीकी सूत्र भी मानते है कि तीन दिन विलंब होने से आदेश बैटिंग तो करेगा, लेकिन रन नहीं दौड पायेंगा। ऐसे में टीम ने रनर लेने का फैसला किया है। रनर लेने की योजना की जानकारी मुन्ना भइया तक पहुची। मुन्ना भइया कोतमा में चुनाव प्रचार कर रहे थे, जानकारी मिलते ही शहडोल की तरफ भागे। समर्थक चिल्लते रहे, पूडी, सब्जी, हलुआ, क्रिकेट किट, फुटबाल किट तो बाट दीजिए। भइया ने अनसुना कर दिया फिर भगते हुए तेज आवाज में कहा खुद ही बाट लो। लेकिन फोटो मेरे बैनर के आगे खड़े होकर खींचना फेसबुक में डालनी पड़ेगी। मुन्ना भइया ने अवसर
गवए बिना रनर बनने का अपना दावा ठोक दिया हैं। खवर है कि भइया को रनर बना लिया गया है। होली जलने वाले दिन भइया प्रचार करने कोतमा नहीं गए. पूरे समय डी.पी.सी. कार्यालय में आँख-कान खेलकर दूसरे रनरो पर निगाहें जमाए रहें। सूत्रों का कहना कि अभी मार्च के महीने तक भइया ही रनर रहेगें, पूरे जोश के साथ दौडेंगे। दौड-दौड़ कर रन बटोरेगे। मार्च के बाद भइया मोह-माया त्याग देगे। विधायकी का चुनाव प्राचर करने कोतमा चले जाऐगे। अब अपना प्रचार करेगे या किसी अन्य नेता का इसकी तस्वीर अभी साफ नहीं है।
मुन्ना भइया के रनर बनने से कई लोगों को आपत्ति है, लेकिन सबसे ज्यादा आपत्ति आदेश के पुराने रनर ए.पी.सी. अरविंद पाण्डेय को है। पाण्डेय का कहना है कि रनर पर पहला हक उनका है भइया ने इतने रन बटोरे लेकिन उनका पेट नहीं भरा। सठियाने के बाद भी नहीं मान रहे रनर बनने के चक्कर में कहीं, एकाघ हडडी चटक गई, तो बुढापे में ठीक से नहीं जुड़ेगी बताए देते है। कुछ तो शर्म करे, बाल-बच्चेदार आदमी है, समाज में इतना रूतवा है कि लोग हसते है। पाण्डेय का कहना है कि आदेश के साथ उनका तालमेल जगजाहिर है। कई सालो से आदेश को वो ही बताते रहे है कब रूकना है, और कब रन बटोरने है। उन्हीं के कारण अभी तक आदेश एक भी बार आउट नहीं हुए है। उन्हें इस बात का संदेह है कि भइया जल्दी ही आदेश को रन आउट करा सकते है।
पाण्डेय ने नफा नुकसान का पक्का हिसाव लगा लिया है, जरूरत पड़ी तो भइया से भिड़ने का मन भी बना लिया है। कुछ भी हो, बीस साल का न सही, 7 साल रन बटोरने का अनुभव उनके पास भी है। उनके पास भी वो सभी पैतरे है जो भइया के पास है भइया का कुछ लिहाज कर, पण्डेय ने आदेश को दो रनर रखने की सलाह दी है. मुसीबत ये है कि अभी तक कोई ऐसा कोई प्रावधान नियमों में नहीं है। पूरे घटनाक्रम का निचोड
यह है कि जल्दी ही दर्शको को त्रिपाठी बनाम पाण्डेय मैच देखने को मिल सकता है। इसकी पृष्ठभूमि तैयार हो रही है। शुक्र है ऊपरवाले का विकृत ही सही आदेश पैदा हुआ, भइया से जिले का पिंड छूटा। अब भइया विधायक बनेगे या विधायक के. ..समय तय करेगा जै राम जी की…
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