महिलाएं भी किसी से कम नहीं आलू चिप्स कारोबार की सफलता के बाद कैंटीन व्यवसाय में उतरीं महिलाएं

संतोष कुमार केवट
अनूपपुर। आज दिनॉक 16 फरवरी अगर इंसान कुछ नया करने की ठान ले, तो क्या नहीं कर सकता है। ऐसा ही कर दिखाया है म.प्र. राज्य ग्रामीण आजीविका मिषन द्वारा गठित अनूपपुर जिले के बरबसपुर के लक्ष्मी आजीविका स्वसहायता समूह की महिलाओं ने। ये महिलाएं किसी भी कदर पुरुषों से पीछे नहीं हैं। उन्होंने आलू चिप्स कारोबार में सफलता अर्जित करने के बाद अपनी लगन और मेहनत का परिचय देते हुए अनूपपुर के कलेक्ट्रेट परिसर में आजीविका कैंटीन शुरुकर अपने नए व्यवसाय की नींव रख दी है। कहना ना होगा कि समय के साथ रोजगार तानबाने में तेजी से आए बदलाव के फलस्वरूप परिवार संवारने के लिए महिलाएं अपने पतियों का कंधे-से-कंधा मिलाकर साथ दे रही हैं। मुख्यमंत्री जी के आत्मनिर्भर मध्यप्रदेष की संकल्पना को साकार करने के लिए इन महिला समूहों को वित्तीय मदद देकर आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। इन महिला समूहों के आर्थिक सषक्तिकरण का ही कमाल है कि लक्ष्मी स्वसहायता समूह की दीदियों ने चाय, नाष्ता एवं भोजन कारोबार की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। मजे की बात यह है कि कलेक्ट्रेट स्थित महिला समूह की इस कैंटीन के खाद्य पदार्थों ने पहले दिन ही लोगों के बीच धाक जमा ली। कैंटीन में बने समोसे, आलूबड़ा, सलोनी, नमकीन, गजक, गुलाब जामुन, पोहा, जलेबी, इडली, डोसा, चाय, काफी वाजिब दाम के साथ-साथ अच्छी क्वालिटी के होने की वजह से इनका लोगों ने भरपूर स्वाद लिया और कैंटीन में ग्राहकों की आमद लगातार बढ़ती जा रही है। कैंटीन में आर्डर पर खाना भी बनाया जाता है। कैंटीन साफ-सुथरी होने के साथ-साथ वहाँ बैठने की उत्तम व्यवस्था है। तारीफे गौर है कि समूह की महिलाएं कैंटीन के कामकाज में लेपटॉप का भी इस्तेमाल करती हैं। शुरुआत में ही कैंटीन को जो रेस्पांस मिला है, उससे उम्मीद बंधी है कि इससे अच्छी आमदनी होगी। शुरुआती दौर में कैंटीन की आय से समूह की प्रत्येक सदस्य को हर माह कम से कम दस हजार रुपये का शुद्ध लाभ प्राप्त होगा। कैंटीन की ओपनिंग से उत्साहित समूह की सचिव सीमा सिंह ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए राज्य सरकार के कार्यक्रमों की सराहना की, जो महिलाओं की आजीविका के लिए मददगार साबित हो रहे हैं। वह आगे कहती हैं कि पति की कमाई के साथ उनकी कमाई भी परिवार की आय में जुड़ जाने से उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है। इसी कैंटीन में समूह की सदस्य के रूप में अहम भूमिका निभा रहीं श्रीमती दुर्गावती बताती हैं कि पहले पति की आमदनी से ही गुजारा करना पड़ता था। आज वह भी कमा रही हैं। परिवार की आमदनी बढ़ गई है। ग्रामीण आजीविका मिषन के जिला परियोजना प्रबंधक शषांक प्रताप सिंह का कहना है कि कैंटीन व्यवसाय क्षेत्र में इन दिनों व्यावसायिक गुरों में दक्ष इन महिलाओं की पहचान होने लगी है। इनकी कैंटीन से लोगों को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण खाद्य सामग्री मिल रही है। कुल मिलाकर आत्मनिर्भरता मिषन के तहत स्थापित इस कैंटीन ने लोगों का ध्यान खींचा है और अल्प समय में ही कैंटीन में लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है।