कचरे के ढेर में जिंदगी जी रहा युवक

कचरे के ढेर में विक्षिप्त का जीवन

मानवता को शर्मशार करता दृश्य, जनप्रतिनिधि और अधिकारी अनजान

अमलाई रेलवे स्टेशन के समीप कचरे में महीनों से कर रहा जीवन यापन

समय और परिस्थितियां हमेशा एक जैसे नहीं रहती, किसी को नहीं मालूम होता कि हालात कब बदल जाएं। इसका सबसे बडा उदाहरण फिलहाल नवगठित नगर परिषद् बरगवां, अमलाई में सामने आया है। दरअसल महीनो से अमलाई रेलवे स्टेशन के समीप एक विक्षिप्त व्यक्ति ठंड से ठिठुरते और कचरे के ढेर में खाना तलाशते देखा गया, लेकिन अभी तक उस तक न तो कोई समाजसेवी पहुंचा और न ही किसी जिम्मेदार अधिकारियों को दिखाई दिया, फिलहाल आज भी कचरे के ढेर में बैठा विक्षिप्त मानतवा को शर्मशार कर रहा है।

अनूपपुर। जिले के अंतिम छोर में नवगठित नगर पंचायत बरगवां अमलाई स्टेशन के समीप मानवता को तार तार करता हुआ एक विक्षिप्त व्यक्ति कई महीनों से कचरे के ढेर में रहने को मजबूर है। जानकारी के अनुसार कई महीनों तक तो यह दिन भर कचरे के बीच में अपना जीवन यापन करता रहा, लगातार गंदे स्थान पर बैठे रहने के कारण अब शरीर के अंग भी सडऩे लगे हैं। स्टेशन के समीप होने के बावजूद भी रेलवे परिसर के आला अफसर भी ध्यान नही दे रहे हैं और न ही जिला प्रशासन के किसी भी जिम्मेदार को सुध लेने की फुर्सत है।

किसी को नही परवाह

 

आज एक मानव, मानव धर्म को भूलकर समाज के ठेकेदार सिर्फ अपने कल्याण में लगे हुए हैं, जबकि होना तो यह चाहिए कि प्रशासनिक अधिकारियों को इस मामले को संज्ञान में लेकर उचित इलाज और उचित संस्थान पर भेज कर मानसिक रोग का इलाज और सुधार गृह में रखवाने का प्रबंध करवाना चाहिए। ऐसा नहीं है कि इस मामले की जानकारी जिले के उच्च अधिकारियों को न हो, कई बार जनप्रतिनिधियों के द्वारा इस व्यक्ति के बारे में स्वास्थ्य विभाग और प्रशासनिक अधिकारियों को खबर दी गई है, लेकिन सभी अपनी जिम्मेदारी को भूल कर ज्ञान की बातें बताते हैं और महेशा यह बात सिर्फ बातों में ही रह जाती है।

कचरा ही उसका भोजन

अमलाई रेलवे स्टेशन के आला अफसर व थाना चचाई के पुलिस विभाग के समस्त अधिकारी समय-समय पर उक्त स्थल का दौरा करते रहते हैं और निश्चित रूप से कचरे के बीच में रहने वाले इस व्यक्ति को देखते भी होंगे, लेकिन आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। आज स्थिति यह है कि यह आदमी अब चलने-फिरने के लायक नहीं रहा। अब अपने हाथों के बल पर घसीट-घसीट कर चलने को मजबूर है। सिर्फ कचरे में रहकर ही भोजन की तलाश करता है और जिंदगी की जंग कचरे पर ही लड रहा है।

फिंगरप्रिंट से खुल सकते हैं राज

 

अमलाई स्टेशन के समीप अपाहिज के रूप में रह रहे विक्षिप्त इंसान का पता अगर फिंगरप्रिंट से लिया जाए तो हो सकता है इसके परिजनों का पता भी मालूम चल जाए, समय रहते अगर शासन के जिम्मेदार लोग इस पर पहल करते हैं तो इसके राज के पीछे की कहानी निश्चित रूप से सामने आ सकती है और इलाज भी हो सकता है। समय रहते अगर उस विक्षिप्त को उचित स्थान प्रदान नही किया गया तो अंतत: उसका जीवन में कचरे में ही समाप्त हो जायेगा।

इनका कहना है

अगर चिकित्सा सुविधाओं की आवश्यकता होगी तो हम हर मदद करने को तैयार है, मैं सामाजिक न्याय विभाग के अधिकारियों से भी बात करता हूं। तांकि उसकी पता-साजी कर सकें, जिससे व्यक्ति को उचित स्थान पर पहुंचाया जा सके।

डॉ. एस.सी. राय

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी अनूपपुर

 

 

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